Janmashtami 2023 date or time Hindi,, janmastami kyu mnte h,Puja vidhi or samgri,,subhmuhurat
जन्माष्टमीहिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास के आठवें तिथि को मनाया जाता है और इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
इस दिन भक्तों द्वारा पूजा, आरती, भजन के साथ ही मंदिर और घरों में प्रसाद वितरण भी किया जाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही लोकप्रिय है और हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन कुछ लोग व्रत रखते हैं और रात्रि के समय जन्माष्टमी पूजा करते हैं। इस पूजा में भगवान कृष्ण के भक्तों द्वारा उनके लिए खुशबूदार फूल, दूध, मक्खन, मिश्री आदि की सेवा की जाती है।
इस त्योहार का उत्साह भक्तों के बीच बहुत अधिक होता है और इस दिन उनका मनोबल भी बहुत ही उन्नत होता है।
भगवान श्री कृष्ण हिंदू धर्म के सबसे प्रसिद्ध और प्रिय अवतार में से एक हैं जिन्हें भगवान का अवतार माना जाता है। उनकी जीवन कथाएं, लीलाएं, और उनके द्वारा दिए गए संदेश आज भी लोगों के जीवन में उत्साह, प्रेरणा और संदेश के रूप में बने हुए हैं।जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार श्री कृष्ण जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
जन्माष्टमी का त्योहार 2023 में 7 सितमवर को मनाया जाएगा।
पूजा विधि:
जन्माष्टमी के दिन, मंदिरों और घरों में बाल रूप में श्री कृष्ण जी के मूर्ति की स्थापना की जाती है। इसके बाद जन्माष्टमी का व्रत रखा जाता है और सुबह सवेरे उठकर श्री कृष्ण जी की पूजा की जाती है।
भगवान कृष्ण की पूजा में दूध,
मखाने,
फल, नट्टू,
पंजीरी, लड्डू,
भोग, चावल,
दलिया,
मिठाई और पानी का अर्पण किया जाता है। ये पढ़े लिंक
सामग्री:
जन्माष्टमी की पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
श्री कृष्ण जी की मूर्ति
दूध,
मखाने, फल, नट्टू, पंजीरी, लड्डू, भोग, चावल, दलिया, मिठाई और पानी
दीपक और दीपक की बत्ती
धूप और धूप की बती,
गंगाजल या तुलसी के पत्ते
पूजनीय सामग्री जैसे कि रोली, अक्षता, लाल चंदन, गुलाब के फूल, कलश, माला आदि।
शुभ मुहूर्त:
जन्माष्टमी की पूजा दो तिथियों में की जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी का पहला दिन, जिसे जन्माष्टमी कहा जाता है, और दूसरा दिन जिसे नन्दोत्सव कहा जाता है।
2023 में, कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह 8:30 बजे से शुरू होकर 9:09 बजे तक रहेगा। इस समय के बीच पूजा की जानी चाहिए।
नोट: पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त 2023, सोमवार को शुरू होकर दोपहर 12:35 बजे पर कुंडली मिलना है।
FAQ- Q 1, जन्माष्टमी कब है?
A, जन्माष्टमी इस साल दो बार मनायी जायेंगी , पंचांग के अनुसार 6 सितम्बर -7 सितम्बर को मनाया जाएगा।
Q2.जन्माष्टमी पूजा कितने बजे है?
A.पूजा अनुष्ठान आधी रात को होता है क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को एक जेल में हुआ था जहां उनके माता और पिता को उनके चाचा राजा कंस ने बंद कर दिया था।
Q3.जन्माष्टमी पर क्या करें क्या ना करें?
A.चावल से परहेज- हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन चावल के सेवन से परहेज करना चाहिए. जन्माष्टमी की तरह एकादशी पर भी चावल या जौ से बनी चीजें ना खाने की सलाह दी जाती है. 4. लहसुन प्याज- जन्माष्टमी के दिन लहसुन, प्याज या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
Q4.कृष्ण का प्रिय भोजन क्या है?
A कृष्ण खाते समय क्या-क्या करते हैं? उत्तर – कृष्ण नंद की गोद में बैठकर खाते समय कुछ भोजन तो खाते हैं और कुछ स्वभावतः जमीन पर गिराते रहते हैं। बेसन की बड़ी तथा कई प्रकार के व्यंजन आदि हाथ में लेते हैं, खाते हैं, दही की दोनी में डालते हैं। मिस्री, दही, मक्खन सबकुछ एक में मिलाकर मुँह में डालते हैं।
Q5.जन्माष्टमी के दिन क्या खरीदना चाहिए?
A .भोपाल निवासी पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कि इस दिन किन चीजों को खरीदना शुभ माना गया है. भगवान कृष्ण को सबसे प्रिय बांसुरी है. बिना बांसुरी के भगवान कृष्ण की कल्पना ही अधूरी मानी जाती है. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन आप लकड़ी या चांदी की छोटी सी बांसुरी खरीद कर जरूर लाएं
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