Bharat ki temple me dress code ....अब मंदिरों में भी लागू होगा Bharat ki temple me dress code (ड्रेस कोड,) संस्कृति बचाओ मंच ने की ये अपील।
अब मंदिरों में भी लागू होगा Bharat ki temple me dress code (ड्रेस कोड,) संस्कृति बचाओ मंच ..
Bharat एक विशाल देश है संस्कृतियों और धर्मों का मेल मिलाप होता है। संस्कृति एवं अभ्यासों में शुद्धता बहुत महत्वपूर्ण होती है,
उसी के साथ आज लगभग सभी धार्मिक स्थलों में ड्रेस कोड की जरूरत महसूस होने लगी है। इसी बात पर ध्यान रखते हुए,
संस्कृति बचाओ मंच ने अपनी एक अपील साझा की है जिसमे सभी Bharat ki temple me dress code ( मंदिरों में ड्रेस कोड )लागू करने की मांग की गई है।
मंदिरों में ड्रेस कोड क्यों जरूरी है?संस्कृति एवं धार्मिक आस्था के अनुरूप होता है।
मंदिरों का हमारे संस्कृति एवं अध्यात्म से नाता होता है। अन्य स्थलों की तरह, मंदिरों में भी शुद्धता और सभ्यता की पुनरावृत्ति होती है। Also Read
आपसी समझ का प्रतीक होता है।
मंदिरों में आपसी समझ और भाईचारे की भावना होती है। हम सभी अन्य व्यक्तियों के साथ अन्याय नहीं करना चाहते तो मंदिर क्यों कम हों।
Bharat ki temple me dress code (मंदिरों में ड्रेस कोड) का अपनान कैसे संभव है?
अपनाने से पहले संस्कृति बचाओ मंच का साम्रज्य बनायें।जैसे कि संस्कृति बचाओ मंच सभी धर्मों से जुड़े हुए है, इसलिए उनका समर्थन करना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। हमारे समाज को इसे एक चुनौती नहीं, बल्कि एक संस्कृति को बचाने के प्रयास के साथ सहयोग करने का अवसर मिलेगा।
मंदिरों को जानना जरूरी haiहमें मंदिरों के अनुसार उनका ड्रेस कोड रखने के लिए पहचान करना जरूरी है। उनके निर्देशों के अनुसार अपना वेशभूषा बदलें।
सभी के लिए बराबर योग्यता होनी चाहिए।
धर्म या जाति के आधार पर किसी को कुछ नहीं ऑलाउड किया जाना चाहिए। हम सभी एक ही होते हैं, और सभी मंदिरों में आपसी समझ और भाईचारे के साथ सुधार लाना जरूरी है।
आज स्वयंसेवी संस्थाएं, अधिकारिता के लोग, इंटरनेट युग, आदि के संबद्धों से Bharat ki temple me dress code लागू करने की हलचल तेज होती जा रही है।
सुझाव
संस्कृति एवं अध्यात्म को बचाना हमारी जिम्मेदारी है। प्रत्येक व्यक्ति की देवी और देवताओं से संबंध होता है। ड्रेस कोड अपनाने की जरूरत से उस संबंध को न तोडना चाहिए।
इसलिए, हमें सभी मंदिरों में ड्रेस कोड को लागू करने की अपील का पालन करना चाहिए और संस्कृति और सभ्यता को प्रतिरक्षा करना चाहिए।
मंदिरों में महिलाओं के लिए लागू होगा ड्रेस कोड
मंदिरों में महिलाओं के लिए ड्रेस कोड लागू होने की उपयोगिता पर चर्चा होना चाहिए। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि मंदिरों में शांति और सुख दोनों होने चाहिए। महिलाएं विशेष रूप से उन जगहों पर आती हैं
जहाँ देवी-देवता की पूजा की जाती है और साथ ही वहाँ धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इन गतिविधियों में यदि महिलाएं उचित ढंग से नहीं वेश भूषा पहनती हैं तो यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण हो सकता है।
ड्रेस कोड की आवश्यकता
यह सभी की जानकारी है कि धार्मिक जगहों पर शांति का माहौल बनाये रखना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए अति आवश्यक है कि सभी लोग एक दूसरे के साथ सौभाग्यपूर्ण हों और एक दूसरे का सम्मान करें।
यहाँ Bharat ki temple dress code का अहम रोल नज़र आता है। ड्रेस कोड के अनुसार सभी महिलाएं उचित वेश भूषा पहनती हैं, और इससे वे अपना सम्मान दिखाती हैं और धार्मिक आजीविका के रूप में हम उनका सम्मान करते हैं।
Bharat ki temple dress code के लाभ
Bharat ki temple dress code की अन्य विशेषताओं में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संबंधों के निर्माण, वेश-भूषा में संयम का विकास आदि हो सकता है।
इससे महिलाएं अधिक आत्मविश्वास के साथ खुद को विशिष्ट बनाकर एक असामान्य परिवेश में शामिल कर सकती हैं।
उचित ड्रेस कोड के लिए सुझाव
Bharat ki temple dress code का पालन करना बहुत आसान है, लेकिन कुछ सुझाव जो आपको देने चाहिए जो हमेशा याद रखने हों:
1. कपड़े का चयन
महिलाओं को एक सर्वनाश वस्त्र जैसे शारी, सैलवार कूट और टोप से बचना चाहिए। इसके साथ ही वे अपने जूते-जूतियों का ध्यान अक्सर रखें। Also Read
2. अनुशंसित अकेले आने से बचें
अकेले आने से बचें और संभावित रूप से एक अधिकारी साथ लें।
3. ज्यादा अश्लीलता से बचें
Bharat ki temple dress code यह सुनिश्चित करता है कि महिलाएं उचित संगत वस्त्र पहनती हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अश्लील वस्तुओं से बच नहीं सकतीं जो उच्च विचारों से झजकरों के द्वारा बताई जाती हैं।
सुझाव
Bharat ki temple dress code महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, इससे वे अपना सम्मान दिखाती हैं और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं। इससे धार्मिक संस्कृति की रक्षा की जा सकती है और सोशल मीडिया पर भी इससे जुड़े सभी विषयों पर बहुत सुन्दर विचारों का विकास हो रहा है।
Mp के मंदिरों में अब वो मिनी स्कर्ट, संस्कृति बचाओ का संदेश, टेम्पल है, पर्यटन स्थल नहीं।
आज हम एक बहुत ही जोरदार विषय पर चर्चा करेंगेहमारा विषय है "Mp के मंदिरों में अब वो मिनी स्कर्ट , संस्कृति बचाओ का संदेश , टेम्पल है, पर्यटन स्थल नहीं।"
यह महत्वपूर्ण मुद्दा हमारे समाज पर ध्यान देने वाला है। इस ब्लॉग आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप भी इस विषय के बारे में अच्छी तरह से समझ जाएँगे। तो चलिए समझते हैं कि क्या है इस विषय में जोरदार।
क्या है असल बात?
Mp में जहां एक तरफ देवी के मंदिर हैं, वहीं दूसरी तरफ मिनी स्कर्ट और टोप के लोग भी खड़े होते हैं। कुछ लोग अपने नाभि से ऊपर कपड़े नहीं पहनते हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि यह आपराधिक नहीं है।
लेकिन देवी के मंदिर में लोग ऐसे घुसने के लिए गए नहीं हैं। वहां जाकर लोगों को संस्कृति के बारे में जानना चाहिए। लेकिन उनके साथ ऐसा करना कि दुसरे व्यक्ति को संबोधित कर दिखाना बेहद शर्म नाक है।
मसला कहाँ से उठा?
यह मामला कुछ समय से ही देखा जा रहा है। इस बारे में अक्सर गुलाम मोहम्मद खान मस्जिद के खतीब मौलाना अज़्मतुल्लाह की तरह लोग अपने विचार साझा करते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें आज भी मुस्लिम समाज में ख़ुदरा पहनाने की फ़जीहत है, हमें चाहिए कि हम भी अपने संस्कृति की देखभाल करें।
किसी ने तो कराया भी पूजन खत्म
हाल ही में बीजापुर स्थित सुंदरेश्वर मंदिर में मिनी स्कर्ट पहन कर स्त्रियों ने सन्नाटा हासिल किया था। लेकिन इसे लेकर कुछ विवाद हुआ और उन्होंने मंदिर से निकाल दिए गए।
ऐसा होना ज़रूरी नहीं है कि हम मिनी स्कर्ट पहनने वालों को निकाल दें। यह बहुत ही गलत कदम होगा। नए उल्लेखनीय समयों में, मंदिर संस्कृति का भी गौरव होगा इसलिए हमें संभवतः सूझबूझ में दूसरे विकल्प सोचने चाहिए।
ये क्या खतरे हैं?
लोग इस बात पर काफी विचार करना चाहते हैं कि यह कौनसी संस्कृति है जो उन्हें मिनी स्कर्ट पहनने से रोकती है। मुझे लगता है
कि इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि मंदिरों में आने वाले लोग संस्कृति के बारे में सीखें और इसे आगे बढ़ाएं और शिक्षा दें। परन्तु इस बात को जगह नहीं होना चाहिए कि मंदिर संस्कृति की क्रमशः बढ़ती टेंडेंस का शिकार हो जाए।
नया अंदाज
इस बात वास्तव में रखना चाहिए कि हम सभी समाज के हिस्से हैं और हमें साथी और समाज संगठनों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर काम करना चाहिए।
हमें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि किस किस तरह से हम अपने संस्कृति को बचा सकते हैं और अपने मंदिरों को पर्यटन स्थलों से कैसे अलग रख सकते हैं।
आज हम इस बात से सहमत होंगे कि हमें एक नया अंदाज चाहिए। हमें चलने का मौका दें, आज हम परिवर्तन के लिए तैयार हैं।
Conclusion --
हमने Mp के मंदिरों में अब वो मिनी स्कर्ट , संस्कृति बचाओ का संदेश , टेम्पल है, पर्यटन स्थल नहीं के उपर एक बहुत ही जोरदार चर्चा की है। इस कारण से आप को यह जानकारी मिल गयी होगी कि क्यों आज मंदिरों में बदलते मौसम के साथ-साथ लोग कैसे भीगते रहते हैं। हमें समाज के हर वर्ग को एक समान नजरिए से देखना चाहिए और सिर्फ एक अंदाज पर नहीं जाना चाहिए। अगर हम इसे देखें तो, यह समय हमें अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने वाला है न कि उसे गिराने का।
देवमंदिरों में गहराई से समझें ड्रेस कोड: अभियान की शुरुआत भोपाल से होगी।
भारत में धार्मिक संस्कृति प्रत्येक कोने से चमकती रही है। देवी-देवताओं के मंदिरों में प्रवेश करने वाला प्रत्येक श्रद्धालु अपनी समझ के अनुसार उचित व जायज़ ड्रेस कोड का पालन करता है। इस तरह की संस्कृति के साथ जुड़े एक नए अभियान की शुरुआत भोपाल से की जाएगी।
मंदिरों में जाना हो तो जानिए इन बातों को
देवी-देवताओं के मंदिरों जाना हिंदुओं के लिए सबसे जरूरी समारोहों में से एक है। यदि आप अपनी समझदारी और सम्मानपूर्वक उपस्थित होना चाहते हैं,
तो ड्रेस कोड के बारे में पूरी जानकारी होना आवश्यक होता है। यहाँ देखिए कि कौन से मंदिर आपको किस तरह से तैयार रहना चाहते हैं। Read link
धार्मिकता और संयम कम कपड़ों में है
पहला नियम धार्मिकता का है। धर्म का मतलब होता है, शांत ध्यान, शुद्धता और संयम। आपका वोटि शांत, स्थिर, इष्ट अनुसार व परम्परा के साथ संतुलित होना चाहिए। फैशन में नहीं आकर उचित नहीं होता।
गांव के मंदिरों में लहंगा या साड़ी हो जरूरी
अगर आप गांव के मंदिर जा रहे हैं, तो अहं बात है कि पुरुष कुर्ता-पजामा और महिलाएं साड़ी या लहंगा सूती कपड़ों में ढकर स्थित हों।
गाड़ियों के मंदिर में साफ कपड़े रखें
यदि आप गाड़ियों के श्री राम मंदिर, शिवराजपुर के जैन मंदिर और हनुमान मंदिर आदि के लिए जा रहे हों, तो कपड़ों में मोटी जहरीले डिज़ाइन नहीं होने चाहिए।
इस स्थान विशेषता से संबंधित मंदिरों में साफ-सुथरे रंग के कपड़े पहनने का अनुरोध किया जाता है।
बस्ती के मंदिरों में कोई बार्डों से थोड़े अलग रहें
अगर आप बस्ती में किसी मंदिर में जा रहे हैं, तो वहाँ बार्डों से परे उचित होगा। चमकदार तितलीयों वाले हल्के फूलों वाला केदारनाथ मंदिर, अनाथ वहमन जी का मंदिर आदि तथा सती-प्रतापेश्वर की दो मंदिर में बार्डे नहीं होते हैं।
गुरुद्वारे में शर्त होती है
पंजाब व राजस्थान में यदि आप गुरुद्वारे में जा रहे हैं तो पगड़ी पहनना अनिवार्य होता है। साथ ही, आपके पास बोते, वाटर बॉटल आदि रखने के लिए थैले होना चाहिए। Bharat ki temple me dress code
समस्त भारत में समान नहीं होता Bharat ki temple dress code.
देश में बहुत भावनात्मकता से जुड़ी संस्कृति और पारंपरिक कूटनीतियों से जुड़े आदर्श होते हुए भी सभी धर्मों में चेंजिंग ट्रेंड के कारण कपड़ों में कुछ बदलाव होते रहते हैं।
लेकिन संस्कृति और मान-सम्मान को गहराई से समझने वाले व्यक्ति किसी भी धार्मिक स्थल में यहाँ वहाँ से जड़े टॉप व माइकरो मिनी स्कर्ट से दूर रहने का ध्यान रखेंगे।
समानता के लिए एक और नींव
सभी धर्मों में समानता के लिए कम से कम हम सभी नहीं तो एक इस बात पर एक हो सकते हैं कि सम्मानपूर्ण ड्रेसिंग स्टाइल को अपनाएँ।
यह तो नहीं कहा जा सकता कि आपको घूमते रहना bचाहिए और सामने वाले लोगों के ड्रेसिंग स्टाइल पBhaर टिप्पणी करना चाहिए।
सुझाव
ध्यान रखें कि कोई भी आपके ड्रेसिंग स्इल k टिप्पणी न करें।
भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों की आर्किटेक्चर व इतिहास को और गहराई से समझें।
स्वच्छता से जुड़े नियमों का भी पालन करें।
भारत में धर्म के लिए सम्मान एवं आदर्शों को बरकरार रखने के लिए यह उचित है कि सभी लोग उचित तरीके से ड्रेस कोड का पालन करें। कोई भी धार्मिक स्थल यथेष्ट मानव का भाग है। सम्मान और सांस्कृतिक समृद्धि ऐसे ही बरकरार रखने के लिए हमेशा ज़रूरी होता है।
FAQ--Q1.किस मंदिर का ड्रेस कोड है?
A.फैसले के बाद नागपुर में कम से कम चार मंदिरों ने ड्रेस कोड लागू कर दिया है। इसमें धंतोली में गोपालकृष्ण मंदिर, सावनेर में संकटमोचन पंचमुखी हनुमान मंदिर, बृहस्पति मंदिर और दुर्गामाता मंदिर शामिल हैं।
Q2.रामेश्वरम में ड्रेस कोड क्या है?
A.रामेश्वरम मंदिर के नियम – Rameshwaram Temple Rules
दर्शन ड्रेस कोड: कोई भी सभ्य पोशाक। आपको गीले कपड़े से मुख्य मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। आपको बनियान और शर्ट पहननी चाहिए या आप सूती पैंट और शर्ट जैसे फॉर्मल पहन सकते हैं। आपको अपने फोन को अपने साथ नहीं रखना चाहिए।
Q3.कन्याकुमारी मंदिर के लिए कोई ड्रेस कोड है?
A.देवी कन्याकुमारी मंदिर ड्रेस कोड:इन अनुष्ठानों के एक भाग के रूप में, पुरुषों को नंगे-छाती होना चाहिए (हालांकि वे खुद को एक तौलिया से ढक सकते हैं), और महिलाओं को साड़ी या चूड़ीदार पहनना चाहिए। यदि आप दिन की पहली पूजा के लिए मंदिर जाने की योजना बना रहे हैं, जो 4.30 बजे शुरू होती है, तो कन्याकुमारी देवी मंदिर के पास होटल चुनना सबसे अच्छा है।
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