Reviving The Glory (भारतीय संस्कृति की महिमा को जगाने की कहानी )
भारतीय संस्कृति की महीमा को जगाने की kahani..
परिचय
Reviving The Glory भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन एवं धनी संस्कृतियों में से एक है।
हमारी संस्कृति में भाग लेना हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे संवारना एवं उसकी महिमा को फिर से जगाना हमारा दायित्व है। Also Read
Reviving The Glory भारतीय संस्कृति और उसकी महिमा
भारतीय संस्कृति के एक बड़े खासियत हैं विविधता और विस्तृतता।
यह एक सजीव संस्कृति है जो दुनिया भर की संस्कृतियों से अलग है। इसकी रचनात्मकता, तंद्रता और संगीत विरासत नहीं होती।
हमारी संस्कृति के भाग होने से हमें गर्व महसूस होता है इसलिए हमें उपलब्ध रिसोर्सों का सही तरीके से उपयोग करके इसे और अधिक संवारित करना होगा।
Reviving The Glory भारतीय संस्कृति में रंग भरना
भारतीय संस्कृति के एक और बड़े खासियत हैं उसमें अमूल्य भावनाएं और प्रथाओं का संगम होता है।
इसलिए भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण गतिविधि है उसकी कला एवं परंपरा।
हमें सारी दुनिया को हमारी संस्कृति की शानदार धरोहरों के साथ परिचित कराना होगा। Also Read
अभियानों, आयोजनों एवं तालिकाओं के माध्यम से हमें संस्कृति की महिमा को फिर से जगाना होगा।
संस्कृति को अपनाने के लिए संगठन
हमारी संस्कृति को बचाने एवं उसे जीवित रखने के लिए और उसके प्रचार में अधिक सक्रिय होने के लिए हमें संगठन की जरूरत होती है।
हमारे Reviving The Glory सामूहिक अभियान और इंटरनेट से संगठित अभियान से हम भारत की संस्कृति की महिमा को दुनिया के सामने रख सकते है।
हमें संगठित होकर भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाने का एक साथ निरंतर अभियान चलाना चाहिए।
उत्तरदायित्व
हमारे उत्तरदायित्व हैं भारत की संस्कृति को संवारना और बचाना। हम उसे नए संसाधनों की मदद से संवारित करेंगे।
हमे अपनी संस्कृति के प्रति वफादार होना चाहिए और उसे और अधिक सौंदर्यपूर्ण बनाने में जुट जाना चाहिए।
निष्कर्ष
यदि हम संगठित रूप से एक साथ काम करते हैं तो भारतीय संस्कृति की महिमा को इस पृथ्वी पर दुनिया के सामने पेश करने में हमें कोई संकोच नहीं होना चाहिए।
हमारा लक्ष्य होता है बनाना भारतीय संस्कृति का नया मंच, जो हमारी धरोहरों के आकार का पुनर्जागरण करेंगा। भारतीय संस्कृति को वर्ल्ड में और ज्यादा प्रतिष्ठित बनाए रखना हमारी उत्सुकता होनी चाहिए
Reviving The Glory
Reviving The Glory संस्कृत साहित्य का इतिहास और पुस्तकें
परिचय
Reviving The Glory संस्कृत भाषा और साहित्य ने भारतीय सभ्यता को समृद्ध किया है। इसका इतिहास बहुत लंबा है और उच्च स्तर के साहित्यकारों ने संस्कृत साहित्य में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया है। इस लेख में, हम संस्कृत साहित्य के इतिहास और पुस्तकों के बारे में बात करेंगे।
संस्कृत साहित्य का इतिहास
संस्कृत साहित्य के इतिहास Reviving The Glory के बारे में बात करते हुए, हम पुराने और नए काल के संस्कृत कवि और उनके लिखे हुए ग्रंथों को देख सकते हैं। उनमें से कुछ हैं:
ऋग्वेद
महाभारत
रामायण
शाकुन्तलम्
मेघदूतम इन पुस्तकों में Reviving The Glory संस्कृत साहित्य का इतिहास प्रस्तुत है जो उस समय के समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं।
संस्कृति साहित्य की तुलना
संस्कृत कला और संस्कृत साहित्य दोनों अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। संस्कृत कला के अंतर्गत नृत्य, संगीत, चित्रकला इत्यादि हैं। वहीं संस्कृत साहित्य में कहानियों, काव्यों, नाटकों, धर्मग्रंथों इत्यादि शामिल हैं।
संस्कृत साहित्य : Reviving The Glory
संस्कृत साहित्य में हमें पुरानी वेदों से लेकर उस समय के कोई थीम जंगल जीवन, दैवीय पौरुष, प्रेम, सामाजिक समस्याएं मिलती हैं। यह पुस्तकें, एक अपने दुखों और सुखों की अनुभूति को दर्शाता है।
Reviving The Glory:क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर का इतिहास
क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर के इतिहास में महाकवि कालिदास का नाम शामिल है। उनकी मेघदूतम पुस्तक एक ऐसी कविता है जो अपनी कल्पना की शक्ति एवं योग्यता से जानी जाती है।
आदर्श और स्थिति की अवधारणा, संस्कृति का साहित्य में महत्व
संस्कृति की अवधारणा आदर्श एवं स्थिति से मिलती है। संस्कृति का साहित्य उन आदर्शों को दर्शाता है और उस समय और स्थान की स्थिति को बताता है।
संस्कृति साहित्य की पुस्तकें
संस्कृति साहित्य की मुख्य पुस्तकों में से कुछ हैं:
शाकुन्तलम्
अभिज्ञानशाकुन्तलम्
राघवमाला
नीतिशतकम् संस्कृति साहित्य की ये पुस्तकें समुद्री सा खुला हुआ कोपा है जिस से हर व्यक्ति धन्य होना चाहता है।
संस्कृत नाटक
संस्कृत रंगमंच की हस्तियों में शानदार नाम जैसे भारत मुनि और कालिदास शामिल हैं। कालिदास की मेघदूतम हिंदी साहित्य में अब तक सबसे प्रतिष्ठित कविताएँ में से एक है।
कालिदास का मेघदूतम
Reviving The Glory कालिदास की मेघदूतम पुस्तक एक ऐसी बेहतरीन कविता है जो कला, समझदारी और विद्वता का उदाहरण है। इसमें संघर्ष, मुद्रा, स्थान, समय समेत सभी प्रकार की विचारधारा दर्शाई गई है।
नीचे कमी का होते हुए,
संस्कृत साहित्य की इन पुस्तकों से आप भरपूर ग्यान ले सकते हैं। यह साहित्य न सिर्फ भारत की संस्कृति और इतिहास के महत्वपूर्ण अंग है, बल्कि यह पूरे विश्व में समान रूप से महत्वपूर्ण है।
अभिजनन सकुंतलम - कालिदास का शानदार नाट्य रचना
Reviving The Glory कालिदास दुनिया के महान काव्यकार हैं। उन्होंने अपनी महाकाव्य श्रृंगारशतक, मेघदूत, रघुवंश और कुमारसम्भव के साथ-साथ नाटक और अधिक कार्य किया है। उनके लेखन का एक अद्भुत नमूना उनकी नाटक अभिजनन सकुंतलम है।
- अभिजनन सकुंतलम का इतिहास
- मूल लेखक: कालिदास
- *लिखने की तिथि: 4 वीं शताब्दी
- * भाषा: संस्कृत
* रचना: नाटक
Reviving The Glory अभिजनन सकुंतलम, संस्कृत में 'शकुन्तला के पहचान' का अर्थ होता है। अभिजनन सकुंतलम का लेखक कालिदास थे और यह नाटक चंडीगढ़ नाटक अकादमी के सरोवर पर आधारित है, जो भारत के पंजाब राज्य में स्थित है।
नाटक की कहानी
* सकुंतला का जन्म
* धर्मराज की आश्रम में सकुंतला की शिक्षा
* धुण्डुमार और सकुंतला की मुलाकात
* सकुंतला और धुण्डुमार का संवाद
* विवाह तथा विजयोत्सव
* सकुंतला और धर्मराज का आमोद प्रेम
* सकुंतला का परिवार के साथ छुट्टी इस स्थान को
* विसर्जन तथा भवन्त्र का अत्याचार
अभिजनन सकुंतलम की कहानी में सकुंतला की जन्म से लेकर उसकी शिक्षा और विवाह तक की कहानी दिखाई गई है। सकुंतला एक बहुत ही सुंदर व भोली-भाली लड़की है, जो धर्मराज की आश्रम में शिक्षा पाती है। धुण्डुमार सकुंतला से प्यार करता है और उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता है। आगे की कहानी में, प्रेम विवाह तथा विजयोत्सव तक अधिक महत्वपूर्ण घटनाएं दिखाई गई हैं।
अभिजनन सकुंतलम का महत्व
अभिजनन सकुंतलम एक अद्भुत नाटक है जो हमें अभिजनन और अहंकार की चेतना दिलाता है। Reviving The Glory इस नाटक में लोगों के जीवन से जुड़े कुछ संगीत तत्व भी होते हैं, जो नाटक को एक समृद्ध अनुभव बनाते हैं। कालिदास अभिजनन सकुंतलम में प्रकृति और उसकी कहानियों का इस्तेमाल करते हैं ताकि हममें एक अद्भुत प्रतिक्रिया उत्पन्न हो सके।
संग्रहण
अभिजनन सकुंतलम एक शानदार नाटक है जो हमारे जीवन के महत्वपूर्ण संदेश देता है। कालिदास का इस नाटक में उन्होंने एक शानदार कल्पना पेश की है जो हर किसी ने देखा, महसूस किया जा सकता है और जिसके विषय में हम सोच सकते हैं। अगर आप हिंदी में अभिजनन सकुंतलम के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आपको इस नाटक को अवश्य पढ़ना चाहिए।
The uttararama carita of bhavabhuti
भवभूति की उत्तराराम चरित्र के बारे में आपको कुछ रोचक बातें जानने को मिलेंगी।
Introduction
उत्तराराम चरित्र किसी भी संस्कृत साहित्य के विशाल ग्रंथों में से एक है। भवभूति द्वारा लिखित यह एक महत्वपूर्ण रचना है।
The Author - Bhavabhuti
भवभूति एक प्रसिद्ध नाम है जिसे भारतीय साहित्य में गुणवत्ता के साथ जोड़ा जाता है। उन्होंने कई प्रसिद्ध रचनाएं लिखीं हैं जैसे महाविरचरित्र और मलतीमाधव। Also Read
The Plot
Reviving The Glory उत्तराराम चरित्र की कहानी का मुख्य विषय उत्तराराम के प्रेम और उसके मर्दन के बारे में है। महाकवि भवभूति ने इस कहानी के जरिए इस्लामिक सैन्य से लड़ने वाले उत्तराराम की दुर्गति को दिखाने का प्रयास किया है। इस रोमांचकारी कहानी में उत्तराराम के प्रेम का संघर्ष दर्शाया गया है।
Themes
उत्तराराम चरित्र में वहाँ कई मुख्य थीम्स हैं जैसे प्रेम, संघर्ष, न्याय आदि। प्रेम के विषय में यह रोमांचकारी कहानी परिचारकों को बहुत कुछ सिखाती है, जबकि संघर्ष एक ऐसी थीम है जो अन्य कई कहानियों में भी पायी जाती है। इस कहानी में न्याय के विषय में भी बताया गया है कि न्याय के लिए लोग किस हद तक जा सकते हैं।
Literary Techniques
उत्तराराम चरित्र में कई साहित्यिक तकनीकों का प्रयोग किया गया है जैसे मुहावरों, कथा-कल्पना, भावविवेक आदि। भवभूति का लेखन अत्यंत प्रभावशाली है जो कई आधुनिक लेखकों को उनके भावों को एक सतह से ऊपर उठाने के लिए प्रेरित करता है।
Conclusion
उत्तराराम चरित्र भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग है जो भवभूति की समाज को प्रेरित करते हुए संदेशों, महत्वपूर्ण थीमों और साहित्यिक तकनीकों का प्रदर्शन करता है। Reviving The Glory इस उत्तराराम चरित्र को पढ़ना आपको भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से नया दृष्टिकोण देगा।
References
Bhavabhuti (1993). The Uttararamacharita. Clay Sanskrit Library.
Dhruva, A. (2016). Bhavabhuti and His Place In Sanskrit Literature. IOSR Journal of Humanities And Social Science, 21(7), 63-68.
रुपकात्मक कविताएं संस्कृत साहित्य में
परिचय
Reviving The Glory संस्कृत साहित्य एक बहुत विस्तृत विषय है, जो कि अपने विभिन्न रूपों में बहुत प्रसिद्ध है। इसमें से एक अहम उपलब्धि है रुपकात्मक कविताओं की विविधता। ये कविताएं संस्कृत साहित्य की संपूर्णता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
परिभाषा
रुपकात्मक कविताएं जिस प्रकार जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त कर सकती हैं, उसी तरह संस्कृत साहित्य में भी अपनी एक विशेष पहचान है। ये कविताएं तर्क से भरी नहीं होतीं लेकिन काफी समझदारी से लिखी जाती हैं। इनकी समझने के लिए आपको संस्कृत साहित्य के प्राचीन और मध्यकालीन लेखकों के विभिन्न पहलुओं का गहरा ज्ञान होना चाहिए।
प्रकार
उपमा
उपमा की दृष्टि से रुपकात्मक कविताएं दो प्रकार की होती हैं। पहली गुणों, और दूसरी शब्दों के द्वारा। इनमें से पहले वाक्य के कुछ शब्दों को एक नया विषय से जोड़ा जाता है जो कि उसके स्वीकार्य धर्मों के साथ संगत होता है।
उपमा रूपक होती है, जो एक वाक्यांश को एक अन्य वाक्यांश से संबोधित करता है।: Reviving The Glory
उदाहरण के लिए, संस्कृत कवि कालिदास की कविता "कुमारसंभवम्" से आंशिक उदाहरण: "संजात शुद्ध बुद्धिर्यस्य वागुत्तमास्तमीं मधुरां न दधति।" - "राधा की मधुर वाणी तुलसीदास द्वारा नहीं सुनाई दी जाती है।"
उपलब्धि
उपलब्धि की दृष्टि से रुपकात्मक कविताएं उत्तेजना और अभिव्यक्ति का एक माध्यम होती हैं। ये कविताएं ध्वनिमतावाद और शब्दों के उपयोग की शिक्षा देती हैं। Also Read
संरचना
The Glory Reviving रुपकात्मक कविताएं सामान्यतया श्लोकों की शैली में ली जाती हैं। इसके अलावा, एक और विशेष जानकारी यह है कि इन कविताओं में भ्रांति के भाव स्पष्ट होते हैं। इन भ्रांतियों के मार्ग पर रुपक और तथ्य का मिश्रण किया जाता है।
समाप्ति
संस्कृत साहित्य की रुपकात्मक कविताएं एक बहुत महत्वपूर्ण हैं, जो इस साहित्य के एक अभिन्न हिस्से हैं। इसलिए, आप इन्हें समझने का प्रयास करें। आप बहुत कुछ खोजेंगे इन रुपकात्मक कविताओं के लिए।
शीर्षक: संस्कृत में काव्य शास्त्र का इतिहास: Reviving The Glory
परिचय
संस्कृत एक प्राचीन भाषा है जो भारतीय सभ्यता का अभिन्न अंग है। यह भाषा क्लासिकल संस्कृत के रूप में भी जानी जाती है, जो कि विशेषतः काव्य शास्त्र के लिए जानी जाती है। संस्कृत काव्य शास्त्र से जुड़े मुद्दों को व्याख्या करेंगे और संस्कृत में काव्य शास्त्र का इतिहास जानेंगे
पुरातत्विक पृष्ठभूमि
Reviving The Glory संस्कृत काव्य शास्त्र भारत के प्राचीन सभ्यताओं में से एक है।
वेद, उपनिषद और रामायण जैसी महत्वपूर्ण ग्रंथों में संस्कृत का उपयोग होता है।
संस्कृत काव्य शास्त्र विद्वानों का एक महत्वपूर्ण विषय रहा है।
मेघदूत, रघुवंश, कुमारसंभव जैसी कविताएं प्रसिद्ध हुई हैं।
संगणक परिचय
संस्कृत में काव्य का अर्थ होता है "कवि के मन में उत्पन्न विचारों की एक श्रृंखला"।
काव्य शास्त्र उन्हीं कनोनिक उपदेशों का संग्रह है, जो कवि अपने काव्य के क्रियाओं को समझने के लिए उपयोग करता है।
संस्कृत काव्य शास्त्र के प्रकार
औषधी काव्य
Reviving The Glory:यह बहुत ही जघन्य होता है जो केवल गुणों का वर्णन करता है।
यह उन गुणों का वर्णन करता है जो प्रत्येक वस्तु या किसी थोड़े से समूह के संपूर्ण अंश के हिस्से होते हैं।
तत्त्ववादी काव्य
इस काव्य का विषय व्यक्तित्व, चैतन्य और भगवान का वर्णन होता है।
यह काव्य दर्शाता है कि लोगों के आत्माओं में दिव्य गुण होते हैं जो उन्हें दिव्य करते हैं।
मार्गशीर्ष काव्य. :: Reviving The Glory
इस काव्य में विषय प्रतिनिधित्व के विभिन्न पहलुओं का वर्णन होता है।
इस काव्य में विभिन्न कठिनाइयों की ओर ध्यान दिया जाता है।
संपूर्णता की दृष्टि से संस्कृत काव्य शास्त्र
संस्कृत काव्य शास्त्र संपूर्णता की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण होता है।
इसमें वेदों में निहित गुणों का वर्णन किया गया है।
Reviving The Glory संस्कृत काव्य शास्त्र इतिहास के शीर्षकों में से एक है और इसे अध्ययन करने से हमें पूर्णता के आसपास जानने में मदद मिलती है।
पुरे इतिहास के बारे में संबंधित जानकारियों से यह आलेख संपन्न होता है।यह आलेख कुछ मुद्दों के बारे में शिक्षा देता है,जैसे संगणक शब्दों को व्याख्या करते हुए और मुद्दों के बारे में बहुत स्थानों पर जानकारी दी है। संस्कृत काव्य शास्त्र अत्यंत महत्वपूर्ण है, और जीवन के हर स्तर पर हमारे लिए महत्वपूर्ण जानकारी है।
वेद वेदांत. Also Read
परिचय
वेद एक प्राचीन संस्कृत शब्द है जो ज्ञान और विज्ञान को अभिव्यक्त करता है। वेद के अर्थ होते हैं "ज्ञान की शाखा"। वेद भारतीय संस्कृति की मूल उपलब्धि है, जिसे अधिकतर लोग रोमी-यूनानी संस्कृति से जानते हैं। इस संस्कृति का ज्ञान और विज्ञान समृद्ध था हर पहलू को आवरण करता हुआ।
वेदों के प्रकार: Reviving The Glory
वेद चार प्रकार के होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना महत्व होता है। इनमें विस्तृत रूप से निम्नलिखित हैं:
रिग्वेद
रिग्वेद भारत का सबसे पुराना वैदिक ग्रंथ है और सभी वेदों में सबसे अधिक लोकप्रिय है। इससे संबंधित व्याख्याओं का संग्रह मनुष्य के इतिहास में सबसे अधिक खोजा जाने वाला साहित्य rlहै।
यजुर्वेद
यजुर्वेद वेदों का दूसरा संग्रह है। यह वेद प्रार्थना और हवनों से संबंधित होता है। इसी कारण, इसके और बाकी वेदों की तुलना में इससे ज्यादा कठिन होता है।
सामवेद
सामवेद यजुर्वेद का विस्तृत संग्रह होता है और इसे गानों की एक टेक होते हुए विवरण में लिखा गया है।
अथर्ववेद
अथर्ववेद अन्य वेदों से थोड़ा भिन्न होता है, यह अस्त्र, शक्ति, अमोघता और विभिन्न प्रकार की यन्त्रिक शक्ति से संबंधित है। यह वेद निश्चित रूप से भविष्य में होने वाली घटनाओं को अंतिम में सूचित करने के लिए और कुल मिलाकर इसके 20 अनुभाग होते हैं।
वेदांत : Reviving The Glory also Read
वेदांत चिंतन वेदों के आधार पर व्यक्तियों के उत्कृष्टता का नाम है। वेदांत व्यक्तित्व और आत्मा के बारे में ज्ञान होने पर आधारित होता है, जो वेदों में छिपा हुआ है। इसलिए, आत्मा के अधीन वस्तुओं में वेदान्त में व्यक्ति की महत्ता और प्रतिभात्ता होती है जो वेदों के मिश्रित ज्ञान से निम्नलिखित बात दर्शाती है:
अध्यात्म
अध्यात्म सच्ची सत्य को जानने के लिए मूल तत्व या आत्मा को जानना होता है। वेदांत अत्मा अथवा जीवात्मा के बारे में अधिक बताता है। जीवात्मा में बुद्धि और ज्ञान पूर्ण होते हैं।
ब्रह्म: Reviving The Glory
ब्रह्म उन्नति का एक प्रतीक होता है जो संसार में स्थित सभी सत्ताओं के सर्वोच्च अस्तित्व को संकेत करता है। ब्रह्म एक प्रकृति के साथ एकूति में स्थित होता है। वेदांत में निर्विकार अर्थात अचल सत्य ब्रह्म के रूप में देखा जाता है।
तन्मयता
]वेदांत में जगत् के मोह की भावना की तबीयत कम होती है, जब हम बोध करते हैं कि परम तत्त्व या अमृतत्व के आसार में समस्त वस्तुएँ मौजूद होती हैं। यह अर्थात वेदांत के अनुसार समस्त दर्शन हमारी मानवता के एक विविधता में मौजूद होते हैं।
समाप्ति
वेद और वेदांत पर ज्ञान प्राप्त करना एक पूर्ण जीवन का काम होता है। इस वीडियो में हमने वेद और वेदांत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है। यह संग्रह इंटरनेट पर अनेक वेबसाइटों के बीच से जुड़ा हुआ है। कृपया इसे साझा करें और आपके मित्रों को इसका लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करें।
FAQ- Q1.can sanskrit be revived,?
क्या संस्कृत को पुनर्जीवित किया जा सकता है?
A.आज के समय में संस्कृत की उत्पत्ति के बाद वह विस्तार से समझाया जाने वाला एक ऐसा भाषा है जो दुनिया भर में उपयोग में थी। इसे भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति की भाषा के रूप में भी जाना जाता है। इतनी बड़ी और विस्तृत इतिहास के बाद, संस्कृत समाप्त हुआ या कम हुआ या अधिकतम उपयोग से बाहर आ गया हो जाने के बाद क्या संस्कृत को पुनर्जीवित किया जा सकता है? यह गंभीर सवाल है।
Q2.which country has sanskrit as official language?
कौन सा देश संस्कृत को अधिकृत भाषा के रूप में मानता है?
A.जी हाँ, कुछ देश संस्कृत को अपनी अधिकृत भाषा के रूप में मानते हैं। भारत के अलावा, नेपाल संस्कृत को अपनी आधिकारिक भाषा मानता है। संस्कृत दुनिया भर में एक ऐसी भाषा है जिसका इस्तेमाल अधिकतम धर्मग्रंथों में किया जाता है।
Q3.why is sanskrit so important?
संस्कृत क्यों महत्वपूर्ण है?
A.संस्कृत अपनी विशेष महत्वता के लिए जानी जाती है। यह भारतीय सभ्यता और नैतिकता के साथ-साथ शास्त्रों की उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। दुनिया भर में अनेक धर्मों में संस्कृत का उपयोग किया जाता है। संस्कृत भाषा के शब्दों का इस्तेमाल लेखन और शास्त्रों में किया जाता है।
Q4 Is sanskrit still spoken in Indian?
क्या संस्कृत भारत में अभी भी बोली जाती है?
A.हाँ, भारत के कुछ हिस्सों में अभी भी संस्कृत को बोली जाती है। एकाधिक संगठनों ने भी संस्कृत को बचाने का प्रयास किया है। इसके अलावा भारत के अलग-अलग प्रान्तों में संस्कृत की स्थानीय भाषा के रूप में उपयोग किया जाता है।
Q5.what is the oldest proof of Sanskriti?
संस्कृत के सबसे पुराने सबूत क्या हैं?
A.संस्कृत की सबसे पुरानी जानकारी वैदिक साहित्य में मिलती है। वैदिक साहित्य वर्ग के रूप में माना जाता है जो सनातन धर्मों की मूल पुस्तक है। यह पुस्तकें अधिकतम संस्कृत भाषा में लिखी गई हैं। यह संस्कृत की सबसे पुरानी जानकारी है जो बची हुई है।
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